स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी
भारत के विकास की प्रेरणा स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी में निहित है, जिसमें समस्त समाज की सहभागिता रहे। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि हमें सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं कीContinue Reading