मीडिया उद्योग पर महामारी का प्रभाव

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मनोज बस्नेत

साल 2019 में दुनिया भर में फैली कोविड-19 की महामारी ने मानव जीवन पर काफी असर डाला। मुझे लगता है कि यह मेरे आयु वर्ग का अब तक का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट है।

फिर भी, जब खबरें आती हैं कि कोविड-19 के नए वेरिएंट खोजे जा रहे हैं, तो मुझे वे दिन याद आते हैं, जब अन्य क्षेत्रों की तरह मीडिया सेक्टर को भी बहुत बड़े संकट का सामना करना पड़ा था।

एक ओर, वायरस को नियंत्रित करने के लिए अपनाए गए लॉकडाउन और शारीरिक दूरी ने समाचार एकत्र करने, संसाधित करने और प्रकाशित/प्रसारित करने की क्षमता को सीमित करना जारी रखा। दूसरी ओर, पाठक को सूचित करने और सरकार तथा अन्य शक्तियों से जवाबदेही की मांग करने का दायित्व अधिक स्पष्ट हो गया। हालाँकि, कठिन परिस्थितियों में भी मीडिया ने बहुत प्रभावी भूमिका निभाई। लेकिन कठिन समय में जिस मीडिया को मुख्य भूमिका निभानी चाहिए, वह आज भारी आर्थिक और व्यापारिक संकट का सामना कर रही है।

नेपाल के एक बड़े मीडिया हाउस में महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति के रूप में, मैं स्वयं संकट के स्तर का प्रत्यक्षदर्शी और भुक्तभोगी हूं।

ऑनलाइन और सोशल नेटवर्क के कारण मास मीडिया क्षेत्र भी दबाव और कड़ी प्रतिस्पर्धा में था। कोरोना वायरस के वैश्विक संकट ने मीडिया क्षेत्र का परिदृश्य बदल दिया है। दैनिक समाचार पत्रों की स्थिति दयनीय हुई है। कई अखबार भी बंद भी हुए हैं।

मीडिया के क्षेत्र में महामारी की पहली मार इस क्षेत्र की आय के मुख्य स्रोत विज्ञापन पर पड़ी। संक्रमण बढ़ने के बाद कई देशों में लॉकडाउन लग गया और दुनिया की अर्थव्यवस्था महीनों तक ठप नजर आई। जब अर्थव्यवस्था कमजोर थी तो मीडिया को भी विज्ञापन नहीं मिल पाते थे। इसलिए जब कारोबार बंद हुआ तो उनसे मिलने वाले विज्ञापनों में भारी कमी आ गई।

ग्लोबल एंटरटेनमेंट एंड मीडिया आउटलुक रिपोर्ट 2020-2024 के अनुसार, वैश्विक समाचार पत्र विज्ञापन (प्रिंट और ऑनलाइन) 2019 में $49.2 बिलियन से घटकर 2024 में $36 बिलियन हो जाएगा। पांच साल में एक चौथाई यानी 27 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ रही है। इसी तरह, 2019 में सर्कुलेशन और ग्राहक प्रतियों का राजस्व 58.7 बिलियन था, और 2024 में यह घटकर 50.4 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। यह तथ्य मीडिया उद्योग की वित्तीय स्थिति की भयावह तस्वीर दर्शाता है।

इस बीच मीडिया ने आय के मुख्य स्रोत में भारी गिरावट से निपटने के लिए पत्रकारों और कर्मचारियों में कटौती का रास्ता अपनाया। कई छोटे और मध्यम आकार के मीडिया हाउस हमेशा के लिए बंद हो गए। जब महामारी अपने चरम पर थी, तब मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट पढ़ी कि अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में कोविड-19 के कारण कम से कम 33,000 पत्रकार और मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं।

भारत के द टाइम्स ग्रुप, द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप, हिंदुस्तान टाइम्स, द क्विंट जैसे बड़े मीडिया हाउस के पत्रकारों और वेतन में कटौती की गई। अमेरिका और भारत जैसी ही स्थिति नेपाल की भी थी। स्थापित मीडिया घरानों ने कोविड के बाद अपना प्रकाशन बंद कर दिया। समाचार निर्माण में होने वाले खर्च को कम करने से सूचना संग्रह का दायरा कम हो गया है।

सवाल यह है कि विज्ञापन बाज़ार में खोया हुआ भरोसा कब लौटेगा। जहां तक लगता है, कोविड के दौरान खत्म हुए कारोबार की वजह से बाजार का विज्ञापन पर जो विश्वास खत्म हुआ था, उसके लौटने का माहौल अभी तक नहीं बन पाया है।

लेकिन महामारी ने पारंपरिक मीडिया संचालकों के लिए नए मीडिया की ओर रुख करने का द्वार खोल दिया है। कई मीडिया ने खुद को डिजिटल मीडिया के अनुरूप ढाल लिया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दिया। सूचना प्रौद्योगिकी में नये विकास के कारण मीडिया उपभोक्ताओं की रुचियाँ और प्राथमिकताएँ भी बदल रही थीं, जिसका लाभ मीडिया उठा रहा है।

डिजिटल मीडिया का युग शुरू हो गया है। विज्ञापनों में घोटालों के कारण मीडिया ने ऑनलाइन सदस्यता पर जोर दिया है। उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए होने वाली कमाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। उन्होंने मीडिया के पारंपरिक आर्थिक स्रोतों के स्थान पर नए स्रोतों को खोजने का प्रयास किया है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के वैश्विक संकट ने मीडिया क्षेत्र का परिदृश्य बदल दिया है।

(लेखक नेपाल के प्रतिष्ठीत प्रमुख कान्तिपुर मिडिया समूह से सम्बद्ध हैं)

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