लोकसभा चुनावों में विपक्ष को झटके पर झटके

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दिल्ली। लोकसभा चुनाव- 2024 में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग गठबंधन पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल अपनी रणनीति को ही अंतिम रूप नहीं दे पा रहे हैं। सभी विरोधी दलों में इतना अधिक भ्रम पैदा हो गया है कि संपूर्ण भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और दक्षिण से लेकर पूर्वोत्तर तक सभी राज्यों में जिला स्तर तक पार्टियों के कद्दावर नेता व प्रवक्ता पार्टी छोड़ रहे हैं और अपनी ही पार्टी की असलियत उजागर कर रहे हैं। प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस की स्थिति तो इतनी अधिक दयनीय हो चुकी है कि उसके पास स्टार प्रचारक और समर्थ प्रत्याशी तक नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं।

एक समय ऐसा था कि पूरा का पूरा फिल्म जगत कांग्रेस के सामने नतमस्तक रहता था। कांग्रेस ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को हराने के लिए फिल्म स्टार राजेश खन्ना को चुनावी मैदान में उतार कर चुनावी लड़ाई को रोचक बना दिया था वहींअब एक समय कांग्रेस के सांसद रहे फिल्म अभिनेता गोविंदा शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं और संभव है शिवसेना उन्हें टिकट भी दे दे।

जम्मू कश्मीर के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण करने के लिए अयोध्या में दिव्य- भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह बहिष्कार कर दिया लेकिन उसके बाद से कांग्रेस के हालात और खराब हो गये। कांग्रेस के ऐसे -ऐसे नेता पार्टी छोड़ रहे हैं कि विश्वास नहीं होता। वहीं कुछ नेता ऐसे हैं जो फिलहाल तो कांग्रेस में ही हैं किंतु अपने पत्रों / सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से कांग्रेस के मुद्दों की हवा निकाल कर पार्टी को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की सूची हर दिन लंबी होती जा रही है । जिसका असर राज्यसभा चुनावों में दिखा था और हिमांचल की सरकार गिरते -गिरते बाल बाल बची है।

महाराष्ट्र के एक दिग्गज नेता अशोक चव्हाण भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा पहुंच गये हैं। महाराष्ट्र के ही युवा नेता मिलिंद देवड़ा और पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल की बहू अर्चना भी भाजपा में शामिल हो गई हैं। महा विकास अघाड़ी में जिस प्रकार का तनाव है उससे लग रहा है कि वहां के अभी कई और नेता भाजपा के नेतृतव वाले गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। उधर एक अन्य दिग्गज कांग्रेसी नेता संजय निरुपम भी पार्टी से निकाले जा चुके हैं। ऐसा लगता है पार्टी इससे चिंतित नहीं है क्योंकि जब मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ी थी तब राहुल गांधी ने कहा था कि वह चाहते हैं कि मिलिंद जैसे नेता पार्टी छोडकर चले जाएं तो अच्छा होगा।

कांग्रेस के नेताओं के पार्टी छोड़ने के कई कारणों में से प्रमुख है कांग्रेस व इंडी गठबंधन का सनातन विरोधी हो जाना। कांग्रेस के प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने राम के नाम पर कांग्रेस छोड़ दी थी फिर गुजरात व हिमांचल के कई विधायकों, नेताओें ने राम के नाम पर व सनातन विरोध नहीं कर पाने कारण कांग्रेस छोड़ दी।

कांग्रेस के युवा तेजतर्रार नेता प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांगेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि जब मैं पार्टी में शामिल हुआ था तब की पार्टी और अबकी पार्टी में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। गौरव ने कहा कि वे अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समरोह में न जाने के कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से काफी नाराज थे। वो जन्म से हिंदू और शिक्षक हैं राम का अपमान नहीं सकते। उनका मानना है कि अब पार्टी दिशाहीन हो गयी है, वह दिन भर न तो सनातन को गाली दे सकते हैं और न ही वेल्थ क्रिएटर्स की निंदा कर सकते हैं। गौरव वल्लभ ने 2019 में पहली बार झारखंड से और फिर 2023 में राजस्थान से विधानसभा का चुनाव लड़ा था था और दोनों ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। गौरव को बहुत पढ़ा लिखा व समझदार व्यक्ति माना जाता रहा है। गौरव अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं।

महाराष्ट्र में पूर्व कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कहा कि वर्तमन समय में कांग्रेस की हालत बहुत अधिक खराब है क्योकि कांग्रेस में कई सेंटर बन चुके हैं जिसमें श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का सेंटर बन चुका है। श्रीमती सोनिया गांधी केवल राहुल गांधी को ही आगे बढ़ाना चाहती हैं इस कारण वह किसी और को सुन नहीं पा रही हैं। कांग्रेस पार्टी में घोर निराशा का वातावरण है। कांग्रेस का कार्यकर्ता हताश है क्योंकि वह समझ नहीं पा रहा है कि वह अपनी बात किसके पास रखे। अब तो सोशल मीडिया में लोग यह भी कहने लगे हैं कि आने वाले समय में कांग्रेस में केवल गांधी परिवार ही बचेगा। वायनाड में राहुल गांधी जब पर्चा दाखिल कर रहे थे तब खरगे दिल्ली में थे और उन्हें कोई भाव नहीं दिया जा रहा था। संजय ने कहा कि राहुल और प्रियंका की लॉबी के चलते कई अच्छे नेताओं का सत्यानाश हो गया है।पंजाब में कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यही गुटबाजी रही। कांग्रेस छोड़ रहे नेताओं का मत है कि कांग्रेस का नेतृत्व मेहनत नहीं करना चाहता।आज की कांग्रेस जनता व कार्यकर्ता दोनों से काफी दूर जा चुकी है। वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी विचारधारा के मामले में भी पूरी तरह से भ्रमित है।

जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी या कांग्रेस से निकाले गये उनमें संजय निरूपम, बॉक्सर विजेंदर, गौरव वल्लभ तो हैं ही बिहार कांग्रेस के अनिल शर्मा सहित कई अन्य नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। आम लोगों का मत है कि आज की कांग्रेस इतनी अधिक सनातन विरोधी है कि ऐसा कांग्रेसी जिसके मन में भगवान राम, काशी और मथुरा के प्रति जरा सा भी श्रद्धाभाव होगा वह कांग्रेस छोड़ देगा। पिछले दिनों हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय तमिलनाडु के नेता लगातार सनातन का उन्मूलन करने जैसे विकृत दे रहे थे जिसकी कांग्रेस की ओर से एक बार भी निंदा नहीं की गयी इसका असर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में स्पष्ट दिखाई पड़ा और कांग्रेस साफ हो गयी।

कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिखकर चेताया था कि जातिगत जनगणना का मुददा कांग्रेस पार्टी को बहुत अधिक नुकसान कर रहा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि किस प्रकार स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी जातिगत जनगणना के पक्षधर नहीं थे, एक समय पार्टी का नारा था, “जात पर न पात पर मोहर लगेगी हाथ पर” । अब वही कांग्रेस हर जगह जातिगत जनगणना की बात कह रही है। इससे सिद्ध हो रहा है कि आज की कांग्रेस पूरी तरह से भ्रमित है और यही कारण है किउसके नेता दल छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित का लखनऊ में निवास है। वे लेखक, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं

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