इफको ने पेश किए भारत के पहले नैनो प्रौद्योगिकी उत्पाद

112.jpg
दुनिया की सबसे बड़ी उर्वरक क्षेत्र की सहकारी संस्था इफको ने आज अपनी मातृ इकाई कलोल, गुजरात में आयोजित एक समारोह में नैनो प्रौद्योगिकी आधारित उत्पादों – नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक व नैनो कॉपर का क्षेत्र परीक्षण शुरू करने की घोषणा की। केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा,  पोत परिवहन (स्वतंत्र प्रभार) तथा रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया, पंचायती राज और कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला, गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, गुजरात सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, कुटीर उद्योग, प्रिंटिंग व स्टेशनरी मंत्री जयेश रदाड़िया, इफको के अध्यक्ष बी.एस. नकई,  इफको के उपाध्यक्ष दिलीप संघाणी तथा इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी में इन नैनो उत्पादों को क्षेत्र परीक्षण हेतु लॉन्च किया गया।   देश के अलग-अलग राज्यों से आमंत्रित 34 प्रगतिशील किसान इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इनमें से कई पद्मश्री से सम्मानित हैं। इन किसानों को नैनो उत्पादों की इस नई शृंखला से परिचित कराया गया और उनके देशव्यापी क्षेत्र परीक्षण के बारे में जानकारी दी गई। इन उत्पादों को कलोल स्थित इफको के अत्याधुनिक नैनो बायोटेक्नोलौजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में देसी तकनीक से विकसित किया गया है। नैनो संरचना से निर्मित ये उत्पाद पौधों को असरदार पोषण प्रदान करते हैं। इन नैनो उत्पादों के अन्य फायदे इस प्रकार हैं:   1. परंपरागत रासायनिक उर्वरकों की तुलना में 50 प्रतिशत तक कम खपत। 2. 15-30 प्रतिशत अधिक पैदावार। 3. मिट्टी की सेहत में सुधार। 4. ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी। 5. पर्यावरण हितैषी।   इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि “इन उत्पादों के लॉन्च के प्रथम चरण में आईसीएआर/ कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से नियंत्रित स्थितियों में इनका क्षेत्र परीक्षण किया जाएगा। इस चरण के लिए इफको ने तीन प्रकार के नैनो उत्पाद विकसित किए हैं। पहला इफको नैनो नाइट्रोजन है जिसे यूरिया के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है। सही तरीके से प्रयोग करने पर यह यूरिया की खपत को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। दूसरा उत्पाद इफको नैनो जिंक है जिसे मौजूदा उपलब्ध जिंक उर्वरक के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है। इस उत्पाद का केवल 10 ग्राम एक हैक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त है और इससे एनपीके उर्वरक की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगी । तीसरा उत्पाद इफको नैनो कॉपर है जो पौधे को पोषण और सुरक्षा दोनों प्रदान करता है। यह पौधे में हानिकारक कीटों के विरूद्ध प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित करता है। इससे पौधे में ग्रोथ हारमोन की सक्रियता बढ़ती है जिससे पौधे का विकास तेजी से होता है।”     केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने इफको के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ‘‘इफको के इस कदम से वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार करने में मदद मिलेगी।’’ इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास करने तथा भारत में पहले पहल नैनो उत्पाद लाने की घोषणा करने के लिए उन्होंने इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी और उनकी पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि “इफको द्वारा गुजरात के कलोल में स्थापित    विश्वस्तरीय प्रयोगशाला में विकसित किए गए इन तीन उत्पादों से मिट्टी, किसान और पर्यावरण को फायदा मिलेगा और परंपरागत उर्वरकों की खपत में 50 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इससे निवेश लागत भी कम होगा।” इफको के प्रयासों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उर्वरक क्षेत्र में डीबीटी प्रणाली, नीम लेपित यूरिया और बिक्री हेतु पीओएस मशीन की शुरुआत की गई है ताकि हरेक किसान को उर्वरक उपलब्ध कराया जा सके। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि इफको ने भारत सरकार की इन सभी पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यद्यपि यह नैनो उत्पादों का ट्रायल है लेकिन मेरा विश्वास है कि ये उत्पाद असरदार सिद्ध होंगे और मैं उम्मीद करता हूँ कि जल्द ही भारत के किसान इनका इस्तेमाल शुरू कर सकेंगे।”   ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गॉव, गरीब और किसान को केन्द्र में रखकर ही 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। किसानों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए वे हमेशा चिंतित रहते हैं। इफको भारत सरकार की तीनों प्राथमिकताओं पर काम कर रही है तथा इन उत्पादों को लॉन्च करके इफको ने विकास की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है। इससे किसानों का पैसा, पानी और समय बचेगा’’। देशभर से आए किसानों और प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘भारत की प्राथमिकता उत्पादन की बजाए अब किसान केन्द्रित हो गई है और अन्य पहलुओं के साथ-साथ कृषि उत्पादन में सुधार तथा निवेश लागत में कमी करके 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस तरह के उत्पाद हमारे सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे’’।    अपने संबोधन में पोत परिवहन (स्वतंत्र प्रभार) रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि ‘‘संसाधनों की कमी तथा उर्वरकों की कम उपयोग दक्षता के कारण किसानों की लागत कई गुना बढ़ गई है। नैनो प्रोद्योगिकी के माध्यम से हम अपेक्षित रासायनिक संरचना के साथ उर्वरक उत्पादन की संभावनाओं और पोषक तत्वों की उपयोग क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं । इससे पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण पर होने वाले कुप्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। यह भविष्य की प्रोद्यागिकी है और उर्वरक क्षेत्र में की गई इस नई पहल के लिए मैं इफको की प्रशंसा करता हूँ।”    पंचायती राज और कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने अपने भाषण में कहा कि ‘‘भारतीय कृषि में आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर ही हरित क्रांति 2 लाई जा सकती है। देश के किसानों को आधुनिक प्रौद्योगिकी का फायदा उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार ने अनेक योजनाएं शुरू की हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि इफको ने भारत सरकार की प्राथमिकताओं पर अमल करते हुए आधुनिक और उन्नत उत्पाद विकसित करने की पहल की है। मैं पर्यावरण हितैषी कृषि उत्पादों के विकास की दिशा में सकारात्मक कदम बढ़ाने के लिए इफको को मुबारकबाद देता हूँ।’’   गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने इस अवसर पर कहा कि ‘‘कलोल इकाई ने अपने स्थापना वर्ष 1967 से ही उर्वरक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि इफको नैनो बायोटेक्नोलौजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) द्वारा विकसित इन अत्याधुनिक उत्पादों के माध्यम से यह संयंत्र अब भी अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है। इफको और गुजरात की ओर से भारतीय किसानों के लिए यह एक अनोखा उपहार है। मेरा विश्वास है कि इन उत्पादों से गुजरात सहित पूरे भारत के किसानों को काफी लाभ मिलेगा’’।   गुजरात सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, कुटीर उद्योग, प्रिंटिंग व स्टेशनरी मंत्री तथा इफको के निदेशक  जयेश रदाड़िया ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि “इफको सदैव किसानों के फायदे के बारे में सोचती है और उनके लिए सर्वोत्तम उत्पाद लाने के लिए हर संभव कोशिश करती है। ये नैनो उत्पाद ऐसे ही उदाहरण हैं। इस उपलब्धि के लिए मैं इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी और इफको की पूरी टीम को बधाई देता हूँ।”   नैनो उत्पादों के शुरूआती परीक्षण के पश्चात इफको का लक्ष्य नैनो उत्पाद शृंखला मे नए उत्पादों को जोड़ना है। इफको नैनो बायोटेक्नोलौजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) प्रयोगशाला भविष्य में एकल पोषक उत्पाद के साथ-साथ बहुपोषक उत्पाद विकसित करने की प्रक्रिया में कार्यरत है।     इफको के बारे में   इफको पूर्ण सहकारी स्वामित्व वाली दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी समिति है जो उर्वरकों का उत्पादन, वितरण और विपणन करती है। वर्ष 1967 में मात्र 57 सदस्य सहकारी समितियों के साथ अपनी यात्रा शुरू करने वाली इस संस्था से आज 35000 से अधिक सहकारी समितियॉं जुड़ी हैं। विविध व्यावसायिक हितों को ध्यान में रखकर संस्था ने साधारण बीमा से लेकर खाद्य प्रसंस्करण तक विभिन्न क्षेत्रों में कारोबारी पहल की है। भारत से बाहर ओमान, जॉर्डन, दुबई और सेनेगल में भी इफको की उपस्थिति है।   भारत में अपने पांच संयंत्रों और विस्तृत देशव्यापी मार्केटिंग नेटवर्क के जरिये इफको देश में बिकने वाले फॉस्फैटिक उर्वरक के हर तीसरे और यूरिया के हर पांचवें बोरे का विपणन करती है। वर्ष 2018-19 के दौरान इफको ने 8.14 मिलियन टन उर्वरकों का उत्पादन किया और लगभग 11.55 मिलियन टन उर्वरक किसानों को बेचा।   भारतीय कृषि और भारतीय कृषक समुदाय के समावेशी और समग्र विकास में इफको का अटूट विश्वास रहा है। कोरडेट, आईएफएफडीसी और आईकेएसटी जैसी संस्थाएं इस दिशा में विशेष रूप से कार्य कर रही हैं।

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top