मुकेश सहनी के साथ खेल कर गए तेजस्वी यादव?

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अमित श्रीवास्तव।
किसी को साथ रख उसको बेवकूफ बनाने की कला तेजस्वी यादव से सीखना चाहिए।
तेजस्वी यादव ने अपने कोटे की तीन सीटें झंझारपुर,  मोतिहारी व गोपालगंज मुकेश सहनी की वीआईपी को दे उन्हें साध तो लिया किंतु इस गठबंधन में केवल और केवल तेजस्वी यादव को ही फायदा होने वाला है।
मुकेश सहनी निषाद समाज से आते हैं केवट, निषाद, मल्लाह आदि उपजातियों की जनसंख्या के साथ इनकी कुल संख्या  बिहार में  60 लाख के आसपास है। किसी भी एक लोकसभा में इनका प्रभाव न होने के बावजूद बिहार की राजनीति में इनका  असरदार प्रभाव रहा है।
लोकसभा चुनाव2024 के लिए राजद व मुकेश सहनी की पार्टी में गठबंधन हुआ है।  मुकेश सहनी के प्रभाव वाली सीट खगड़िया है जहाँ लोकसभा चुनाव, 2019 में सहनी दूसरे स्थान पर रहे थे और ढाई लाख के करीब मत भी इन्हें प्राप्त हुआ था।  महागठबंधन के बीच हुए सीटों के बंटवारे के बाद यह सीट सीपीआईएम के पास चली गई है।  यानी मुकेश सहनी अपने ही घर मे आउट कर दिए गए हैं।
दूसरी ओर, झंझारपुर लोकसभा सीट पर मुकेश सहनी के कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि इस सीट पर राजद के प्रभावशाली नेता गुलाब यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वो राजद की ओर इ उम्मीदवार थे दूसरे नंबर पर रहे थे।  निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद भी गुलाब यादव स्वयं को राजद के ही बता रहे हैं। राजद की ओर से भी उन पर किसी भी प्रकार की कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की गई है और न ही उन्हें मनाने की कोशिश ही की गई है।  ऐसे में प्रश्न  यह है कि क्या गुलाब यादव तेजस्वी की ही चाल चल रहे हैं और उनका लक्ष्य  वीआईपी के प्रसार को रोकना है?
दूसरी सीटों में गोपालगंज व मोतिहाती है। गोपालगंज  में  दो मुकेश सहनी के साथ समस्याएं हैं। एक कि राबड़ी देवी के परिवार का आंतरिक कलह  (राबड़ी देवी का मायका) व दूसरा गोपालगंज के यादव रसूख वाले हैं, वो  पिछड़ी जाति के किसी भी अन्य जाति को अपना नेतृत्व नहीं दे सकते। ऐसे में यहाँ भी मुजेश सहनी को फायदा नहीं मिलने वाला।
मोतिहाती सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता राधा मोहन सिंह का प्रभाव है एवं राजद  पिछली बार भी वहाँ से आकाश सिंह चुनाव लड़े थे जो कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह के पुत्र है।  इस सीट पर विपक्ष के लिए सकारात्मक रुख जनता में नजर नहीं आता।
ऐसे में ये प्रश्न है कि खगड़िया  से मुकेश सहनी को हटा कर वैसी सीटें जहां वीआईपी का अस्तित्व ही नहीं है, उन सीटों को मुकेश सहनी को देकर कोई खेल तो नहीं कर गए तेजस्वी यादव सहनी के साथ  जैसा खेल उन्होंने पूर्णिया खुद के पास रख कर पप्पू यादव के साथ कर गए?

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