विस्थापित हिन्दुओं का यथार्थ है पुण्यपथ

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संस्कार भारती, बिहार के तत्वधान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के‌ पटना मुख्यालय, विजय निकेतन  के चाणक्य सभागार में सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ की पाकिस्तानी हिन्दुओं के उपर केन्द्रित उपन्यास पुण्यपथ पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर बोलते हुए संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अमीर चंद ने कहा कि पुण्यपथ आज के समय में विस्थापित हिन्दुओं का यथार्थ है।सर्वेश ने जो हिम्मत अपने कलम के माध्यम से दिखाई है वह प्रशंसनीय है।मैंने जब यह किताब पढ़ी मैं अंदर से हिल गया। विस्थापित हिन्दुओं का सम्मान लौटाना आज के समय की माँग है। कल का सुखद संयोग इस बात की गवाही दे रहा था कि मनोयोग से किया गया अपनों के लिए किया गया प्रयास कभी विफल‌ नही होता है।

गीता में भगवान कहते हैं कि

ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।

भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया।।18.61

हे अर्जुन ! ईश्वर सम्पूर्ण प्राणियोंके हृदयमें रहता है और अपनी माया से शरीर रूपी यन्त्र पर आरूढ़ हुए सम्पूर्ण प्राणियों‌ को उनकी नीयत के हिसाब से भ्रमण कराता रहता है।

प्रसिद्ध सिने समीक्षक विनोद अनुपम ने कहा कि पुण्यपथ के विषय पर और बातें होनी चाहिए। सर्वेश ने जो आज किया है बहुत पहले किया जाना चाहिए था लेकिन यह इस देश का दुर्भाग्य है कि ऐसी बात पहले शुरु नही हुयी। आनंद कुमार ने कहा कि सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ उन चंद लेखकों में से एक हैं जिन्होंने कभी राष्ट्रवाद की डोर नहीं छोड़ी। उनका पहला उपन्यास “परत” लव जिहाद की परतों को उधेड़ता उस विषय पर लिखा गया हिन्दी का इकलौता उपन्यास है, जिसे पाठकों ने खूब सराहा और यह किताब बेस्ट सेलर बनी।

सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ ने पुस्तक की भूमिका पर बोलते हुए कहा कि मैं एक साहित्यकार का धर्म निभा रहा हूँ। अपने समय के सत्य को उधृत करना ही साहित्यकार का कर्तव्य है और मैं उसको जी रहा हूँ।

प्रो. अरुण भगत ने किताब पर बोलते हुए कहा कि यह पाकिस्तानी हिन्दुओं की पीड़ा को केंद्र में रख कर लिखा गया उपन्यास समाज की आँखे खोलने वाली है। उनकी यह पुस्तक समाजोपयोगी है।यह किताब उत्कृष्ट साहित्य का नमूना है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री प्रो. श्याम शर्मा ने कहा कि पुण्यपथ, हर हिन्दू के घर में होनी चाहिए ताकि उनको विस्थापित हिन्दुओं की पीड़ा का एहसास हो सके।

इस मौके पर जलज कुमार अनुपम ने मंच का संचालन करते हुए कहा कि अपने और पराये लोगों के बीच की रेखा की पहचान करना नितांत आवश्यक है। जो धर्म के साथ नही है इसका सीधा मतलब है कि वह अधर्म के साथ है क्योंकि मौन भी अधर्म ही होता है। इस मौके पर प्रसिद्ध रंग निर्देशक संजय उपाध्याय, संस्कार भारती, बिहार के संगठन मंत्री वेद प्रकाश, संजय पोद्दार, नीतू कुमार ‘नूतन’, और डा. संजय कुमार चौधरी के अलावे अनेकों बुद्धिजीवी लोग बहुत दूर से चल कर आये और कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।

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