विद्या भारती के मंच से क्या एफबी लाइव हो सकेगा ‘ओछा लल्लनटॉप’

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इस तरह की खबर सुनकर और पढ़कर उन लोगों का विश्वास जरूर कमजोर पड़ता है, जो इस विचार के साथ अडिग हैं

यश चौधरी

यस चौधरी

एक बार फिर लल्लनटॉप वाले सौरभ द्विवेदी विवादों में आ गए हैं। सोशल मीडिया पर उन्हें लेकर यह अभियान जोर पकड़ता जा रहा है, जिसमें साफ—साफ कहा जा रहा है कि उन्हें विद्या मंदिर के आयोजन से दूर रखा जाना चाहिए। जिस तरह का एजेन्डा उनकी वेबसाइट लगातार भारतीयता के खिलाफ चलाती रही है, उन्हें विद्या भारती जैसा मंच देना, उनके लिखे को विश्वसनीयता प्रदान करने जैसा होगा। इस लाइव को रोके जाने की अपील सोशल मीडिया पर जोर पकड़ती जा रही है। यह आवाज विद्या भारती के अधिकारियों तक भी अवश्य पहुंची होगी।

मीडिया स्कैन को इस कार्यक्रम के संबंध में एक चैट प्राप्त हुआ है, जिसमें लिखा गया है— ”सर कैसे भी करके कल के इस एफबी लाइव कार्यक्रम को रुकवाए। क्या विद्या भारती को ये भी वाम वाला मिला इसके लल्लनटॉप में इसने एक से एक हिंदू विरोधी भर रखे है और कुछ दिन पहले तो ये भाजपा समर्थकों को ओछी गाली देकर माफी भी मांग चुका है।”

इस मुद्दे पर जलज कुमार मिश्रा लिखते हैं— ”आप भाजपा और उसके समर्थकों को गाली दो! भाजपा और संघ से जुड़ें संस्थान आपको सम्मानित करेंगे अपना धरोहर घोषित करेंगे। यह नयी विकसित परम्परा है! भाई आखिर समस्या क्या है? लम्पटों को‌‌‌ ही अगर धरोहर बनाना है तो बहुत नाम है! ऐसे नमूनों से बचना चाहिए!”

जयपुर से प्रमोद शर्मा विद्या भारती की पहल पर अपना दुख इन शब्दों में व्यक्त करते हैं — ”चिंता वाजिब है। लेकिन संघ के लोगों में वैचारिक दारिद्र्य है। उनमें एक तरह का हीनता बोध भी है, यदि वामी उनकी तनिक भी प्रशंसा कर दे तो वह इनके लिए पूजनीय हो जाता है और खोजबीन कर उसके साथ रिश्ता निकाल लेते हैं।”

यदि प्रमोद शर्मा की बात सही है तो यह दारिद्रय कब तक बना रहेगा? कब तक राष्ट्रवादी विचार परिवार को अपमानित करने वाले इनके ही मंचों से सम्मानित होते रहेंगे। पिछले दिनों यह तक खबर बाहर आई थी कि लल्लनटॉप के विज्ञापन का काम देखने वाले व्यक्ति को उत्तर प्रदेश के एक बड़े अधिकारी से बड़े विज्ञापन का आश्वासन मिला है।  

इस तरह की खबर सुनकर और पढ़कर उन लोगों का विश्वास जरूर कमजोर पड़ता है, जो इस विचार के साथ अडिग हैं। सौरभ के संबंध में रिसर्च करते हुए यह जानकारी सामने आई कि वे उत्तर प्रदेश, जालौन के रहने वाले हैं। उनके पिताजी भाजपा नेता रहे हैं। आशु सक्सेना नाम के सोशल मीडिय यूजर ने लिखा — ”मेरे जिला जालौन का है सौरभ द्विवेदी। इनके पिताजी जी भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता रहे हैं। गांधी महाविद्यालय में शारीरिक शिक्षा के प्रोफेसर रहे और कालपी विधानसभा से दो बार विधायक की का चुनाव लड़ चुके। इसका एक चचेरा भाई भी जिला भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय राजनीति करता है।

यह कमेन्ट आशु ने उस विवाद पर लिखा था, जब सौरभ ने भाजपा समर्थकों को कंडोम इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। कई लोगों ने इस पर चुटकी भी ली कि इस सलाह पर यदि उनके पापा ने अमल किया होता। इस तरह के कमेन्ट सामने आने के बाद सौरभ को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने फौरन माफी मांग ली।

लल्लनटॉप—विद्या भारती विवाद पर उज्जैन के सुरेश चिपलुनकर की टिप्पणी भी काबिले गौर है— अगर विद्या भारती के पूर्व छात्र इनका सम्मान कर रहे हैं, तो और भी गलत बात है, क्योंकि “पूर्व छात्रों” को तो विचारधारा की समझ और भी अधिक होनी चाहिए।

अब बड़ा सवाल यह है कि विद्या भारती के मंच पर सौरभ के जाने को सौरभ की घर वापसी मानी जाए या फिर विद्या भारती की बड़ी भूल?



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